शिक्षण संस्था के नाम पर गाँव में केवल एक राजकीय प्राथमिक पाठशाला हैं जिसमें लगभग दो दशक पहले गाँव का हर बच्चा पढता था लेकिन अब ज्यादातर बच्चे पास के गाँवों/शहर में चल रहे नीजी स्कुलो में पढ़ने के लिए जा रहे हैं केवल गिने-चुने बच्चे ही इस स्कूल में अध्ययन हेतु प्रवेश ले रहे हैं इसका कारण समय का बदलाव या सरकार का तुलनात्मक सुविधाए उपलब्ध करवाने में असफल होना हो सकता हैं जिस कारण अभिभावक अपने बच्चे को शिक्षण हेतु गाँव से बहार भेजने को तव्वजो दे रहे हैं एक समय था जब इस स्कूल में होने वाली सुबह कि प्रार्थना कि आवाज गाँव के हर कोने में सुनाई देती थी लेकिन अब स्कूल से बाहर भी नहीं निकल पाती कुछ सवाल हैं जो मुझे और शायद आपको भी बार बार सताते हैं कि क्या सरकारी स्कूल अपनी पहले जैसी गरिमा प्राप्त कर पाएंगे? क्या स्कूल में एक लय में गाए जाने वाली गिनती व पहाड़े गाँव के हर कोने में फिर से सुनाई देंगे?