समय का बदलाव देखिये चिड़िया जो कुछ समय पहले हर घर में दिखाई देती थी उसे आज शहरीकरण के कारण बच्चे चिड़ियाघर में ही देख पाते हैं ईंट रोड़ी पत्थरों एवं सीमेंट के घरो ने चिड़िया का बसेरा छीन लिया हैं और हम उम्मीद करते हैं की हमे सुबह उठते ही चिड़िया की चहचाहट सुनाई दे! यह कैसे संभव है? हमे दोनों में से एक चीज़ को चुनना होगा? की हमे विलासितापूर्ण जीवन चाहिए? या फिर प्रकृति की अदभुद सुन्दरता? जो कोयल की कूक, चिड़िया की चहचाहट या फूलो की खुसबू जैसे विभिन्न रूपों में हो सकती हैं या पीने के सुद्ध पानी या जीवन दायनी सुद्ध हवा के रूप में हो सकती हैं| आज प्रकृति के अनियंत्रित दोहन के कारण हम अपनी पीढ़ी को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं ? इस विषय पर सोचने की जरुरत हैं ? हम किसी चिड़िया का आशियाना छीन कर अपना आशियाना कितने बचा पायेंगे? आओ मिलकर विचार करे प्रकृति हमे क्या देती हैं और हमारा इसके साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए .........
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बहुत सुंदर संदेश है। काश ये सब समझ पाते और समझते भी हों लेकिन कोई अपने घर में एक पौधा भी नहीं लगाता...
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