बेरली कलां और बेरली खुर्द दोनों गाँव पास-पास हैं जो की रेवाड़ी से लगभग १५ किलोमीटर दूर हैं इस गाँव का मुख्या बाज़ार रेवाड़ी पड़ता हैं लेकिन इस गाँव के लोग कोसली भी जा सकते हैं |
ब्लॉग का उद्देश्य रेवाड़ी जिला के निवासियों के रहन-सहन,वेश-भूषा, त्यौहारों,छोटी-बड़ी रस्मो,वनस्पतियों,जानवरों,पशु-पक्षियों,मौसम आदि के बारे अवगत करवाना हैं| आप सभी पाठको से अनुरोध हैं अगर आपको इस ब्लॉग में वर्णित किसी भी लेख के सम्बन्ध में कोई जानकारी हैं तो उसे टिप्पणी के रूप में अवश्य भेजे| ताकि अन्य पाठक लाभ उठा सके| शुरूआत में कुछ लेखों में आपको अल्प जानकारी उपलब्ध हो सकती हैं उसका लेखक को खेद हैं लेकिन लेखक का अनवरत प्रयत्न रहेगा की आपको अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध हो सके|
गुरुवार, 31 मार्च 2011
बुधवार, 30 मार्च 2011
करनावास(Karnawas)
करनावास रेवाड़ी-बवाल रोड पर बसा एक गाँव हैं जिसमे इंडियन ऑयल कॉरपोरेसन का डिपो हैं|
रविवार, 27 मार्च 2011
शहद(Honey)
मधुमख्खी का छत्ता-1 |
मधुमख्खी का छत्ता-2 |
ग्रामीण क्षेत्र में शहद प्राप्त करने के लिए अमावश्या के आस-पास का समय देखकर मधुमख्खी के छते को तोडा जाता हैं क्योंकी ऐसी धारणा हैं की पूर्णिमा के नजदीक इसमें शहद नहीं होता| शहद प्राप्त करने के लिए मधुमख्खी के छते को तोड़ने की कोई खास तकनीक इस्तेमाल नहीं की जाती हैं बल्कि सूती कपडे में आग लगाकर उसकी धुआं से मधुमख्खियो को उड़ाया जाता हैं या फिर कुछ व्यक्ति मधुमख्खियो को उड़ाने के लिए बीडी की धुआं को भी इस्तेमाल करते हैं और फिर बड़ी आराम से मधुमख्खी के छते को वहां से हटा लिया जाता हैं और कपडे से छान कर शहद प्राप्त कर लिया जाता हैं तथा बोतल आदि में भरकर संगृहीत कर लिया जाता हैं |
शनिवार, 26 मार्च 2011
गुरुवार, 24 मार्च 2011
बावल(Bawal)
जहाँ तक बावल कस्बे की बात हैं वह कोई ज्यादा बड़ा नहीं हैं लेकिन बावल औधोगिक क्षेत्र रेवाड़ी जिले का सबसे बड़ा औधोगिक क्षेत्र हैं| बावल क़स्बा नगरपालिका होने के साथ-साथ तहसील भी हैं|
बुधवार, 23 मार्च 2011
धारूहेड़ा(Dharuhera)
धारूहेड़ा रेवाड़ी जिले की सीमा पर राजस्थान के औधोगिक शहर भिवाडी के साथ लगता हुआ रेवाड़ी जिले का उभरता हुआ एक औधोगिक शहर जो नैशनल हाईवे नम्बर ८ पर बसा हुआ है|यहाँ पर बहुत सी कंस्ट्रक्सन कम्पनियां आ चुकी है जो विभिन्न प्रकार के आवासीय मकानों/फ्लैटों के लिए ग्राहकों को तलाश रही है| यह नगरपालिका भी है |
शनिवार, 19 मार्च 2011
साबी बांध(Sahibi Barrage)
दिल्ली से जयपुर जाते समय धारूहेड़ा कस्बे से निकलते ही National Highway No. 8 पर साबी नदी पर बना यह बांध बहुत ही मनमोहक है इसका सोंदर्य देखते ही बनता है लेकिन अपराधियों का मन पसंद स्थान होने की वजह से यहाँ पर आये दिन कोई न कोई आपराधिक घटना होती रहती हैं इसलिये यहाँ के स्थानिय लोग इस स्थान से गुजरते समय विशेष सावधानी बरतते है यहाँ पर इतने अधिक झुंडे-झाड़ खड़े है जिसका अपराधी बहुत अधिक फायदा उठाते है यहाँ पर इतने अधिक मृत व्यक्तियों की लासे मिल चुकी है की लोग इस स्थान को अब मर्डर प्वाइंट कहने लगे है |
बुधवार, 2 मार्च 2011
चिड़िया(House Sparrow )
समय का बदलाव देखिये चिड़िया जो कुछ समय पहले हर घर में दिखाई देती थी उसे आज शहरीकरण के कारण बच्चे चिड़ियाघर में ही देख पाते हैं ईंट रोड़ी पत्थरों एवं सीमेंट के घरो ने चिड़िया का बसेरा छीन लिया हैं और हम उम्मीद करते हैं की हमे सुबह उठते ही चिड़िया की चहचाहट सुनाई दे! यह कैसे संभव है? हमे दोनों में से एक चीज़ को चुनना होगा? की हमे विलासितापूर्ण जीवन चाहिए? या फिर प्रकृति की अदभुद सुन्दरता? जो कोयल की कूक, चिड़िया की चहचाहट या फूलो की खुसबू जैसे विभिन्न रूपों में हो सकती हैं या पीने के सुद्ध पानी या जीवन दायनी सुद्ध हवा के रूप में हो सकती हैं| आज प्रकृति के अनियंत्रित दोहन के कारण हम अपनी पीढ़ी को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं ? इस विषय पर सोचने की जरुरत हैं ? हम किसी चिड़िया का आशियाना छीन कर अपना आशियाना कितने बचा पायेंगे? आओ मिलकर विचार करे प्रकृति हमे क्या देती हैं और हमारा इसके साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए .........
मंगलवार, 1 मार्च 2011
मीरपुर(Meerpur )
मीरपुर रेवाड़ी जिला का एक बड़ा गाँव हैं जिसमे महृषी दयानंद विश्वविध्यालय रोहतक का पोस्ट ग्रेजुएट रीजनल सेंटर स्थापित किया गया हैं यह गाँव अब शिक्षा के क्षेत्र में बहुत तेजी से उभरता हुआ गाँव बन गया हैं इस गाँव में कैंसर रिसर्च सेंटर भी स्थापित हो चुका हैं जिसमे दूर दराज से लोग इलाज व शिक्षा लिए आने लगे हैं| दिल्ली से आने वाले व्यक्ति रेवाड़ी से लगभग पांच किलोमीटर पहले धारूहेड़ा रोड पर फिदेड़ी नमक गाँव से होते हुए पहुँच सकते है |
प्रेम(Love)
प्रेम को अभिव्यक्ति के लिए शब्दों की जरूरत नहीं होती प्रेम स्वयं दिखाई देता है मुझे प्रकृति से प्रेम है तो मुझे प्रकृति की हर चीज सुंदर नजर आती है पेड़-पौधे, पहाड़, पक्षी, जानवर, नदियाँ, फूल, कांटे आदि सब कुछ तो खूबसूरत नजर आता हैं किसको किसके प्रति कितना प्रेम हैं यह एक बहुत ही गंभीर विषय है इसके बारे में सम्पूर्ण वर्णन करना न केवल मुश्किल हैं बल्कि नामुकिन हैं श्री रामचरितमानस में भगवान श्री राम ने सीता जी से कुछ इस प्रकार कहा -
तत्त्व प्रेम मम अरु तोरा|
जानत प्रिय एक मन मौरा ||
लेकिन क्या आज प्रेम को उसी सत्य अनुभूति से महसूस किया जाता या इसमें वासना का समावेश हो चुका है यह एक प्रथक बहस का विषय हैं लेकिन प्रेम में मिलावट निसंदेह घातक हैं क्योकि प्रेम सास्वत है और वासना छनिक है अगर मनुष्य वासना को प्रेम समझने की भूल करता है तो परिणाम शायद मुझे बताने की जरूरत नहीं हैं| आज के बदलते परिवेश में प्रेम के विषय में अपनी युवा पीढ़ी को जानने की बेहद जरूरत हैं......
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